हंसना है सेहत के लिए इतना जरूरी, होते हैं ये फायदे ... पढ़कर चौक जाओगे
जब आपकी यह हार्दिक इक्छा है कि आप दीर्घकाल तक जीना चाहतें हैं और हंसते हंसते जीना चाहते हैं तो हसते क्यों नही है ? क्यों आपके चेहरे पर हसी नहीं रहती ? क्यों आप हर समय उदास, सुस्त, बेचैन, चिंतित और संशय की स्थिति में रहते हैं ।चिंता को आप छोड सकते हैं, संशयात्मक प्रवृत्ति को भी बदलना जानते हैं, आत्मविश्यासी भी" आप हैं, आपकी झोली में सफलताए भी आती जा रही हैं फिर भी आप क्यों पत्थर की मूर्ति की भांति गुम-सुम रहते हैं ? क्यों नहीं आठों पहर आपके चेहरे हसी रहती ?
हंसना, मनुष्य के उन प्रमुख गुणों में से एक है जिसे सहज प्राप्त किया जा सकता है पर सहज आत्मसात् नहीं किया जा सकता । दूसरों के गम में स्वयं को हदय से शामिल करना आज के जमाने में जितना कठिन कार्यं है उतना ही मुश्किन भी। आज के स्वार्थ व ईष्यापूर्ण जीवन में दूसरों की प्रसन्नता अथवा सफलता में हदय से मुस्कुराना सीखी ।
मोटापा कम करने के उपाए
हम अपने परिचितों की होने वाली उन्नति पर उनकी प्नसृन्नता में कितने मन से शरीक होते हैं, यह तो हमारा मन ही जानता है । अन्तर्मन से चेहरे पर मुस्कान कीं लकीर आज के दौर में माह के वेतन की तरह हो गई है जो लम्बे इंतजार के बाद एक दिन के लिए आती है और दूसरे दिन गायब ।
कुछ व्यक्ति तो गंभीर होने का नाटक इस हद तक कारते हैं कि उनके चेहरे पर गंभीरत व तनाव के कारण लकीरें, सलवटें व बल झलकने लगते हैं । उनके लिए मुस्कुराना व हँसना किसी को उधारी देने कीं पीड़ा सा घायल कर जाता है ।
हँसी तो मनुष्य को भगवान से प्राप्त एक अनमोल रत्न है । जिसने भी इस रत्न को जितना बिखेरा वह उतना ही चिन्तामुक्त, लोकप्रिय व कठिन परिस्थितियों को भी सहजता से पार का सका है ।शिशु कौ मुस्कन् में तो भगवान का वास होता है । हंसता हुआ बालक पूरे धर के माहौल को तनाव मुक्त कर देता है । अनजाने में बड़ा-से-बड़ा नुकसान करने के बाद बालक, बाल्य हंसी के लुभावने जाल में अपनी जननी को फंसा उसके क्रोध को काफूर का देता हे । कृष्णा ने शिशु के सारथी तक की भूमिक में अपनी कई गलतियों को मात्र मुस्कुरा का छुपा लिया या रहस्य के ऐसे गर्त में डाला कि आज तक वह मुस्कान विवाद व शोध का बिषय बनी हुई है ।
हँसी तो मनुष्य को भगवान से प्राप्त एक अनमोल रत्न है । जिसने भी इस रत्न को जितना बिखेरा वह उतना ही चिन्तामुक्त, लोकप्रिय व कठिन परिस्थितियों को भी सहजता से पार का सका है ।शिशु कौ मुस्कन् में तो भगवान का वास होता है । हंसता हुआ बालक पूरे धर के माहौल को तनाव मुक्त कर देता है । अनजाने में बड़ा-से-बड़ा नुकसान करने के बाद बालक, बाल्य हंसी के लुभावने जाल में अपनी जननी को फंसा उसके क्रोध को काफूर का देता हे । कृष्णा ने शिशु के सारथी तक की भूमिक में अपनी कई गलतियों को मात्र मुस्कुरा का छुपा लिया या रहस्य के ऐसे गर्त में डाला कि आज तक वह मुस्कान विवाद व शोध का बिषय बनी हुई है ।
हंसना एक ऐसी कला हैं जो हदय को हृदय से बिना किसी तार के जोड देती है। मनुष्य ने भगवान की दी हुई हर चीज को बांटने का प्रयास किया और उसमें वह सफल भी रहा है, किन्तु मुस्कान को वह किसी रंग धर्म, जाति में विभक्त नहीं कर पाया।
विज्ञान का भी मानना है कि जीवन को तनावमुक्त रखने के लिए मुस्कुराना व हंसना चाहिए । जीवन के लिए भोजन जितना जरूरी है, स्वस्थ रहने के लिए हंसना उतना ही अनिवार्य । हम जब क्रोध कारते हैं ,तव हमारे चेहरे की लगभग 34 (चौतीस) मांसपेशियों को कार्यं काना पहला है षरन्तु मुस्कुराने में मात्र 17(सत्रह) माँसपेशियों को कार्यं करना पडता है । अत: हँसना क्रोध काने से अधिक आसान वा लाभप्रद है । आइए मुस्कुराये और तनाव रहित रहिये
किसी सैनिक की वृद्ध विधवा पत्नी एक बार किसी किसी फोटो ग्राफ़र के यहां चित्र खिचवाने गयी थी । उस फोटोग्राफर ने लैस में देखने के बाद कहा ज़रा आप होठो पर मुस्कराहट लझाइये ।उस स्त्री ने बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह मुस्कराहट अपने होठो पर नहीं ला सकी ।
किसी सैनिक की वृद्ध विधवा पत्नी एक बार किसी किसी फोटो ग्राफ़र के यहां चित्र खिचवाने गयी थी । उस फोटोग्राफर ने लैस में देखने के बाद कहा ज़रा आप होठो पर मुस्कराहट लझाइये ।उस स्त्री ने बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह मुस्कराहट अपने होठो पर नहीं ला सकी ।
'वह तो उदास रहने वाली विधवा थी । उसे पति की मृत्यु का दु:ख रहता था। चिंताओं से घिरी रहती थी ।
फीटोग्राफरं ने पुन: कहा "आप जरा प्रसन्न होकर मुस्कराइये ।"
स्त्री बोली…"देखिए आप कुछ नहीं जानते । मैं एक विधवा और वृद्धा स्त्री हूं, मैं कैसे मुस्करा सकती हूं । बाहर का कोई प्रभाव नही होता है जिससे हसा जा सके है
"नहीं आनंद या मुस्कराहट तो अन्दर से आती है ।" फोटोग्राफर ने कहा-"एक बार प्रयत्न कीजिए । प्लीज, एक बार और फोटोग्राफ़र ने वाणी में बडी मिठास लाकर कहा जिसने जादु जैसा प्रभाव डाला औरु वह मुस्करा पडी ।
"बहुत अच्छा बहुत अच्छा ! फोटोग्राफर ने हर्ष से कहा -आप अपनी आयु से बीस वर्ष कम की लग रही हैं ।
पति की मृत्यु के बाद उस स्त्री ने आज पहली बार अपनी प्रशंसा सुनो थी । इतने मधुर शब्द सुने थे ।
उसके ह्रदय पर फोटोग्राफर के मधुर शब्दों को गहरी छाप पडी । घर जाकर भी वह शीशे में अपना चेहरा देखकर मुस्कराती रही-हंसती रही
जव फोटो उसे मिला तो वह चकित रह गयी उसका फोटो उसकी उम्र से बीसो वर्ष कम का था उसका चेहरा खिला हुआ
वह बहुत प्रसन्न हुई
वह बहुत प्रसन्न हुई
वह बहुत प्रसन्न हुई
वह बहुत प्रसन्न हुई


