मुख के छालो और दाँत से संबादित बीमारी को दूर करने का आसान उपाए .....Easy remedies to remove headache and toothache
मुह और दांतों की अच्छी तरह से सफाई न होने के कारण मुँह में छाले, मसूड़ो में सूजन, मुख दुर्गध, पायरिया, दंतक्षय, मुखपाक आदि रोग समय के साथ-साथ उत्पन हो जाते हैं, जिनका व्यक्ति के स्वास्थ्य और सौंदर्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आइए मुंह और दांतों के रोगों से मुक्ति पाने के उपायों को जानें।
मुख के छाले दूर करने का आसान उपाए
मुख में छाले पेट में कब्ज रहने या फिर पेट में गर्मी के कारण पड़ते हैं। पेट में कब्ज न हो इसके लिए सुप्तवज्रासन, अर्द्धमक्वेंद्रासन, हलासन, सर्वागासन, पवनमुक्तासन, वजासन, भुजंगासन आदि योगासनों का नियमित रूप से अभ्यास करें। हनक अभ्यास से गैस, अजीर्ण, कब्ज, बदहजमी आदि उदर रोग शांत होकर मुख के छाले स्वत: ही ठीक हो जाते हैं। प्राणायामों में कपालभाति, उहिडयान बंध, नाडीशोधन, अग्निसार क्रिया का भी अभ्यास करने से पर्याप्त लाभ होता है।
मुख के छालो और दाँत से सम्बंधित बीमारी को दूर करने का आसान उपाए
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मुख के छालो का प्राकृतिक उपचार
सबसे पहले तो आप त्रिफला चूर्ण एक चम्मच सोते समय रात को गरम दूध या गरम पानी से लें। इस से सुबह में शौच खुलकर होगा । पेट की गर्मी शांत होगी ।1. जामुन के कोमल पत्ते पीसकर जल में मिलाकर कुल्ले करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
2. हल्दी को पानी में डालकर दो…तीन घंटे के लिए छोड़ दें। तीन घंटे के बाद इस पानी से कुल्ले करें । इससे मुख के छाले शांत हो जाते हैं।
3. बेर के पत्तों को उबालकर काढा बनाएं। फिर उस काढे से कुल्ले करें। छाले शीघ्र नष्ट ही जाएंगे।
ग्लिशरीन में भुनी हुईं फिटकरी मिलाकर रुई की मदद से छालों पर लगाएं और कुछ देर तक लार टपकाएं या केवल ग्लिशरीन छालों पर लगाकर लार टपकाएं। फौरन राहत मिलती है और एक-दो दिन में छाले नष्ट हो जाते हैं।
4. नीम की छालों को जलाकर श्वेत कत्थे के साथ पीसकर मुंह में लगाने से छाले नष्ट होते हैं।
फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर गुनगुना रहने पर उससे कुल्ला करने से छाले नष्ट हो जाते है ।
कत्था पानी में घोलकर गाढा-गाढा छालों पर लेप करे और लार टपकाएं । छाले शीघ्र ही नष्ट हो जाते है ।
गाय के दूध से बने दही में पका केला मिलाकर खाएं। छाले बिल्कुल ठीक हो जाते हैं।
अरहर की कोमल पतियों को धीरे धीरे चबाकर थूकने से भी छाले ठीक होते हैं।
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पायरिया
पायरिया रोग का मुख्य कारण दांतों एवं मसूहों में गन्दगी होना है। इस गन्दगी में जीवाणु एकत्रित होते है, और मसूडो में इंफेक्शन पैदा करते हैं। जिससे सबसे पहले मसूड़े फूलने लगते है, और लाल हो जाते है। उनसे खून भी रिसने लगता है और उगली से छूने पर दर्द भी होता है। पायरिया के रोगी को शौच साफ नहीं होता है और धीरे-धीरे पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। कब्ज शुरू हो जाता है, और दांत कमजोर हो जाते है। दंतमूल में उत्पन्न पीब के कभी-कभार बाहर आ जाने से शरीर के दूसरे अंगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
पायरिया का यौगिक उपचार
पायरिया रोग में प्राणायाम अत्यंत लाभदायक है। शीतली और सीत्कारी प्राणायाम का अभ्यास नियमित से करें। मुंह और दांतों के रोगों में ये प्राणायाम लाभप्रद हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक उपचार भी करें।मुख के छालो और दाँत से सम्बंधित बीमारी को दूर करने का आसान उपाए |
पायरिया का प्राकृतिक उपचार
पायरिया रोग का मुख्य कारण दांतों व मसुडो में गंदगी का होना है, अत: इन्हें अच्छी तरह से साफ करने से पायरिया रोग को दूर किया जा सकता है। दस्तों को साफ करने के लिए कम से कम दो बार ब्रश करना अति आवश्यक है। ब्रश करने का सही तरीका दातो पर ऊपर से नीचे या गोल-गोल करना चाहिए और कम से कम दो-त्तीन मिनट तक ब्रश अवश्य करना चाहिए। रात में सोने से पहले ब्रश करना अति आवश्यक है। ब्रश करने के पश्चात गर्म पानी, नमक और फिटकरी मिलाकर अच्छी तरह कुल्ला कर लेना चाहिए।1. नीम या बबूल की दातून को दिन में दो चार अच्छी तरह से चबाकर करने से भी पायरिया रोग ठीक होता है। क्योकि इसके रस में जीवाणु रोधक क्षमता होती है अत: यह पायरिया रोग को ठीक करने में लाभदायक है।
2. सेंधा नमक मैदे की तरह ,बारीक पीसकर कपडे से छान लें। ऐसा नमक दो ग्रा. हथेली पर रखकर उससे चार गुना सरसों का तेल डाल दें। अब दोनों को मिलाकर अंगुली से मसूडों की हल्की हल्की मालिश प्रतिदिन करें । खून निकले तो निकलने दीजिए। कुछ देर तक तेल की मसुडो पर उंगली से मालिश करते रहे इसके बाद तुरंत सादे पानी से कुल्ले कर लें। इससे मसूढ़ों की सूजन दूर होता है। दातों का गर्म एवं ठंडा लगना समाप्त होता है।
3. मेहंदी के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से सुबह शाम कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन नष्ट हो जाती है।
4. बबूल की छाल का काढा बनाकर कुल्ला करने से मसूडों की सूजन व दर्द से छुटकारा मिलता है। मसूडों पर फिटकरी का चूर्ण मलें। इससे मसूढे मजबूत होते है और उनके विकार दूर होते है।
5. अदरक और नमक पीसकर मिला ले इसे मसूढो पर धीरे धीरे मलें। तुरंत ही आराम मिल जाता है।
6. ताजे पानी में नीबू का रस डालकर कुल्ला करने से मसूहों की सूजन कम होती है और मुंह की दुर्गध भी दूर होती है।
7. अरण्डी के तेल में कपूर मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मसुडो पर मलने से उनका आरोग्य बढ़ता है और सूजन में भी लाभ होता है।
8. तिल के तेल को मुंह में दस-पंद्रह मिनट तक रखकर गरारा करने से पायरिया रोग दूर होता है और हिल रहे दांत भी मजबूत हो जाते है।
9. नमक और बबूल के कोयले का मंजन बनाकर दांतों को साफ करें। सरसों के तेल में मिला हूआ नमक का मंजन पायरिया में लाभदायक है।
10. नीबू का रस मसूढो पर मलने से दातों में से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
11. पायरिया से बचने के लिए दातों के स्वास्थ्य रक्षा पर ध्यान दे।
अधिक गर्म पेय जैसे चाय , कॉफ़ी, आदि तथा ठंडे पेय पदार्थ जैसे आइसक्रीम, कुल्फी और बर्फ से बने पदार्था का सेवन न करें। गरमा-गरम खाना खाने के बाद बर्फ का ठंडा पानी तथा ठंडे-गर्म पेय पदार्थों का एक साथ सेवन करने से बचें।
12. भोजन के बाद जल से कुल्ला करके अन्न कण ठीक से साफ कर लें। भोजन को चबा-चबाकर खाने वाले के दांत सदा मजबूत रहते हैं भिगोए हुए काले चने, नारियल की गिरी, कच्चे फल, गना चूसना आदि दांतों के लिए हितकारी है।
मुख द्रुर्गध को दूर करने के उपाए
पाचन क्रिया सही न होना, कब्ज रहना, कच्चा या पका हुआ कफ छाती में संचित हो जाना, दातों में सड़न, पायरिया आदि कारणों से मुख से दुर्गध आती है।मुख के छालो और दाँत से सम्बंधित बीमारी को दूर करने का आसान उपाए |
योग से उपचार
मुख की दुर्गध को दूर करने के लिए शरीर के भीतरी अंगों की सफाई बहुत जरूरी है। कब्ज रहता हो तथा पाचन क्रिया सही न हो तो ऐसे में उत्तानपादासन, सुप्तवज्रासन, पवन मुक्तासन, भुजंगासन, कटिचक्रासन, मंडूकासन आदि का अभ्यास नियमित रूप से करें। ध्यान रहे इनका अभ्यास अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही करना चाहिए। कपालभाति, नाड्रोशोधन, भसिका और उज्जायी प्राणायाम का भी नियमित रूप से अभ्यास करें। इससे स्थायी रूप से सफलता मिलेगी।प्राकृतिक उपचार
यौगिक क्रियाओं के साथ-साथ प्राकृतिक उपचार भी कर सकते है।1.अनार की छाल पानी में उबाल कर उसे पानी को मुंह में थोडी देर तक रखकर गरारे करें। इससे मुख के छाले और दुर्गंध दोनों ही दूर होते हैं।
2. सूखा धनिया चबाकर भी मुख-दुर्गध की शिकायत दूर की जा सकती है।
3. दिन में एक बार प्रतिदिन दो चम्मच सरसों के तेल में आधा चम्मच नमक मिलाकर उसे मुख में रखकर इधर-उधर घुमाते रहें तथा लार थूकते रहें। आधे घंटे के बाद सब थूक दें। कुछ देर के बाद मुंह साफ हो जाता है और दुर्गध नहीं आती है।
4. दिन में एक बार एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर कुल्ले करने से मुंह की दुर्गध दूर हो जाती है।
5. खाना खाने के बाद सौंफ चबाने से भी मुँह की दुर्गध दूर होती है।
7. मुंह और दांतों की सफाई रखें और कम से कम दस मिनट तक ब्रश करें और ब्रश चारों तरफ घुमाकर अच्छी तरह से दांतसाफ करें ।
8. एक लोंग मुंह में रखकर नित्य भोजन के बाद चूसने से मुंह से बदबू आनी बंद हो जाती है और दुर्गधमय सास दूर होती है। दांत भी स्वस्थ रहते है।
दंतक्षय
दंतक्षय का मुख्य कारण शक्कर व इससे बने भोज्य पदार्थ हैं। बच्चों में दांतों की यह बीमारी मिठाई, टॉफी, चॉकलेट या बिस्किट आदि अधिक खाने के कारण होती है। दंतक्षय का उपचार न होने पर दांतों की जडों में मवाद, गांठ का बनना, जबड़ो कीं हड्डियों का सड़ना जैसी समस्याएं हो सकती है। सबसे दांतों पर काले धब्बे नजर आते हैं, फिर यह निरंतर बढ़ता जाता है, जो आगे चलकर केविटी का रूप धारण कर लेता है।ख के छालो और दाँत से सम्बंधित बीमारी को दूर करने का आसान उपाए |
प्राकृतिक उपचार
1. मीठा खाने के पश्चात् पानी से अच्छी तरह कुल्ला जरूर करें जिससे कि मीठी चीजें मुँह पे पूर्ण रूप से साफ हो जाये।2. हींग को पानी में उबालकर उस पानी से कुल्ले करने ओर दांत कर पोले भाग में लौंग भरने से दांत के कीड़े मर जाते है। और दांत दर्द भी ठीक हो जाता है।
3. जायफल के तेल का फाहा दांत में रखने से दंतक्षय रुक जाता और दांत के कीड़े मर जाते हैं। इससे दांत दर्द में भी आराम मिलता है।
4. दांत के हिलने पर सेधा नमक और राई का तेल दातों पर सुबह एवं रात के समय भोजन के बाद मलने से दांत का हिलना रुक जाता है।
5. 10 ग्रा. लोंग और एक ग्रा. सेंधा नमक को पीसकर दांतों पर मलने से दांत का हिलना रुक जाता है।
6. 25 ग्रा. गेरू में 250 ग्रा. सफेद फिटकरी मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। सुबह-शाम यह मंजन करने से दांतों का हिलना बंद हो जाता है।
7. अमरूद के पत्तों को एक लीटर पानी में डालकर काढा तैयार करें। पत्तियों को इतना उबाल कि उसका रस उस पानी में आ जाए और वह पानी उबले हुए दूध की तरह काढा ही जाए। इस काढे से बार-बार कुल्ला करने से दांत दर्द तुरंत शांत हो जाता है ।
8. तुलसी और चमेली के पत्तों को चबाने से दांतों को आराम मिलता है ।