sugar ka ilaj ....Sugar kam karne ke upay in hindi-
प्राकतिक चिकित्सा के अनुसार मधुमेह पाचन संस्थान का विकार है, जिसे नियमित योगाभ्यास, जीवनचर्या में बदलाव और उचित आहार के प्रयोग से पूर्णत: ठीक किया जा सकता है। मधुमेह ऐसे लोगों का रोग है, जो शारीरिक श्रम या शारीरिक व्यायाम नहीं करते हैं। इस रोग मे अग्नाशय ग्रथि द्वारा बनायी जा रही इन्सुलिन की मात्रा परिमाणात्मक एवं गुणात्मक रूप से कम हो जाती है, जिससे रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है और अतिरिक्त शर्करा मूत्र मार्ग से बाहर निकलने लगता है।
1 .मानसिक श्रम की अधिकता और शारीरिक श्रम का अभावा ।
2. अप्राकृतिक रहन-सहन तथा असंयमित आहारा।
3. अधिक भारी, चिकने तथा मीठे पदार्थों का लगातार सेवना।
4. मधुमेह को आनुवांशिक रोग भी माना जाता है। माता-पिता को मधुमेह है तो संतान को भी हो सकता है।
5. जीवन शैली में अप्राकृतिक रूप से बदलावा।
मधुमेह के लक्षण :-
शरीर में खुजली होना, घाव भरने मे देर होना, पेशाब में शर्करा का आना, पेशाब गाढ़ा औंर चिपचिपा हो जाना, बार -बार पेशाब आना, अधिक भूख लगना और अधिक प्यास लगना, त्वचा में शुष्कता, आखों की ज्योति कम हो जाना, थकान और कमजोरी का अनुभव होना आदि मधुमेह के लक्षण हैं, जिम्हें नजर अंदाज कर आप जीवित नहीं रह सकते हैं।
मधुमेह के कारण होने वाले अन्य रोग:-
स्नायुविक दोष, नपुंसकता, नपुंसकता, गुर्दे तथा यकृत की खराबी, तंत्रिका संस्थान के दोष आदि विकृतियां शरीर मेइस रोग के कारण उत्पन हो सकती हैं। इनका भी उपचार होना चाहिए।
मधुमेह का उपचार :-
मधुमेह का उपचार करते समय यह ध्यान रखें कि रोगी पर्याप्त श्रम करें, उसका आहार नियत्रित हो। वह तनाव मुक्त रहे। . उसका पाचन संस्थान सुव्यवस्थित रूप से कार्य करे तथा मधुमेह के कारण जो रोग उत्पन हुए हैं, वे भी काबू में रहे।
यौगिक चिकित्सा:-
1. कुंजल नौलि शंख ग्रक्षालन का अभ्यास करने से रोगी कों बिशेष रूप से लाभ होता है।
2. उहिडयान बंध का अभ्यास करने से पाचन दोष दूर होते हैं।
3. कटि चक्रासन, अर्द्धमत्सयेंद्रासन, बजासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन, शलभासन, धनुरासन, मंडूकासन तथा षादहस्तासन का अभ्यास करने से विशेष लाभ होता है।
4.भस्विका, उज्जायी, नाडी शोधन एवं भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करने से मधुमेह में ' विशेष लाभ होता है।
5.रोज कर सके तो सूर्य नमस्कार की सभी क्रियाएं कर विशेष रूप से लाभ प्राप्त कर सकते है।
5.रोज कर सके तो सूर्य नमस्कार की सभी क्रियाएं कर विशेष रूप से लाभ प्राप्त कर सकते है।
प्राकृतिक चिकित्सा:-
1.मेट पर मिट्टी की पट्टी बांधे।
2.पेट पर गरम-ठंडा सेक करें।
3.एनिमा ले।
4.ठंडा कटि स्नान, ठंडा-गरम कटि स्नान लें।
5.पेट को लपेट और रीढ़ स्नान करें।
6.शरीर को हफ्ते में दो बार मालिश करें।
7.धूप स्नान लें। भूरी बोतल में सूर्य किरणों से कम से कम आठ घटे तप्त किया गया जल आधा कप भोजन के बाद दो जार सेवन करें।
8.प्रात काल सैर के लिए निकल जाएं और इतना पेदल चलें कि थक जाएं। शरीर पसीने से तरबतर हो जाए।
भोजन चिकित्सा:-
1.आहार का निर्धारण रोगी की आयु, वचन, कार्य तथा मधुमेह के प्रकार को ध्यान में रखकर होना चाहिए।
2.एक सामान्य वजन के रोगी का जो शारीरिक श्रम नहीं करता लगभग 2000 कैलोरी, मध्यम कार्य करने वालों को 2500 कैलोरी तथा अधिक कार्य करने वालो को 3000 कैलोरी या इससे अधिक कैलोरी के आहार की जरूरत होती है।
3. मधुमेह में जिन रोगियों का भार कम हो गया है, उन्हें अन्य रोगियों की तुलना में कुछ अधिक कैलोरी की जरूरत होती है।
4. जिन रोगियों का भार सामान्य से अधिक है, उन्हें 2000 कैलोरी से भी कम भोजन लेना चाहिए, जिससे उनका शरीर कम मोटा हो सके।
5. कैलोरी को निश्चित करने के लिए सबसे सुगम उपाय यह है कि रोगी अपने मूत्र की जांच करायें।
6. मधुमेह के रोगी दही आदि को अपने भोजन में शामिल कर अपनी शारीरिक शक्ति को बनाए रख सकते हैं।
7. सुबह करेले का जूस एक औंस से दो. औंस तक लिया जा सकता है।
8. नाश्ते में बिना मलाई का दूध 250…400 मिली. या मटठा या अकुंरित चना, मूंग, मेथी लगभग 30 ग्रा. या ताजे आंवले का रस 50 ग्रा. ले सकते हैं।
9. दोपहर में रोटी (गेहू व चना दोनों को मिलाकर) 25 ग्रा. रने 50 ग्रा. , हरी सब्जी 250 ग्रा. , सलाद 25 से 50 ग्रा. , फूं। क्री दाल 25 ग्रा. दही 150 ग्रा. या मटठा एक गिलास ले सकते हैं।
10. शाम मे भुने हुए चने 30 ग्रा. , सब्जी का सूप या मटठा एक गिलास ले सकते हैं।
मधुमेह के रोगी के लिए जरूरी बातें :-
1.गेहू के आटे में चना, सोयाबीन, मेथी मिलाकर उससे बनी रोटी खानी चाहिए। साढे सात किलो गेहू, डेढ़ किलो चना, 900 ग्रा. सोयाबीन तथा 100 ग्रा. मेथी के मिश्रण का अनुपात रखा जा सकता है।
2. सभी प्रकार की मीठो चीजें, घी, वनस्पति, अत्यधिक मीठे फल, बाजार में मिलने बाला मैदा आदि से बने खादय पदार्थ, संरक्षित डिब्बा बंद खादय पदार्थ, धूम्रपान, जर्दा, गुटका तथा मदिरा पान पूरी तरह से वर्जित है।
3. करेला, नीम क्री पत्तियां, बेल, गुड़मार तथा जामुन आदि भी मधुमेह के नियंत्रण में सहायक हो सकते हैं।
4. हरी साग-सब्जियां, चौलाई, बथुआ, धनिया, पुदीना, पत्ता गोभी, खीरा, ककडी, लौकी, बेल-पत्र, नारियल, मूली, टमाटर, नीबू, गाजर, प्याज, अदरक, छाछ, भीगे बादाम आदि लेना भी अधिक उपयोगी है।
चावल, स्टार्च, ज्यादा दिमागी काम और बदहजमी से बचें। दिन में न स्रोएं।
5. पानी एक साथ में न पीकर घूट-घूट पोएं।
6.जौ भी मधुमेह के रोगी के लिए फायदेमंद साबित होता है। जौ का आटा पांच भाग और चने का आटा एक भाग आठ-दस दिन तक खाएं। पेशाब में शक्कर जाना बन्द हो जाता है।
जौ को भुनकर आटे की तरह पीसकर रोटी बनाकर खाना भी लाभप्रद है।
7. शक्ति के अनुसार मधुमेह का रोगी सुबह, शाम दौड लगाएं तो बिना औषधि के ही पेशाब में शर्करा आना बंद हो जाता है। दौड न लगा सके तो खूब टहलें।
8. केवल अग्निसार, धौति, भस्तिका प्राणायाम, उड्रिडयान बंध के साथ पश्चिमोत्तर नामक और फेफडों को शक्ति पहुँचाने वाले प्राणायाम का अभ्यास करने मात्र से ही स्थायी लाभ हो सकता है।
शुगर के इलाज |
धरेलू देखभाल :-
1. मैथी दाना छ: ग्रा. लेकर थोड़ाकूट लें और सायं 250 ग्रा. पानी में भिगो दें। प्रात: इसे खूब घोंटे औंर कपड़े से छानकर बिना मीठा मिलाए पी जाया करें। दो माह के सेवन से मधुमेह से छुटकारा मिल जाता है।
2 मेथी का दूसरा प्रयोग दो चम्मच मेथी दाना और एक चम्मच सौंफ मिलाकर कांच के गिलास में 200 ग्रा. पानी मे रात को भिगो दें। सुबह कपड़े से छानकर पी ले। जिन रोगियों को मेथी गर्मी करती हो, ऐसे गर्म प्रकृति बाले मधुमेह तथा अल्सरेटिब कोलाइटिस के रोगियों के लिए यह सौंफ के साथ मेथी का प्रयोग अधिक कारगर सिद्ध होता है। .
3. जामुन के चार हरे और नर्म पत्ते खूब बारीक कर साठ ग्रा. पानी में छानकर _ प्रात: दस दिन तक लगातार पिये। इसके बाद इसे हर दो माह बाद दस दिन लें। जामुन के पत्तों का यह रस मूत्र में शक्कर जाने की शिकायत में लाभप्रद है। '
4.मधुमेह रोग की प्रारंभिक अवस्था में जामुन के पत्ते चार-चार प्रात: तथा सायं चबाकर खाने मात्र से तीसरे ही दिन में मधुमेह में लाभ होता है।
5. अच्छे पके जामुन के फलों को 60 ग्रा. लेकर 300 ग्रा. उबलते हुए पानी में डालकर ढक दें। 30 मिनट के बाद मसलकर छान लें। उसके तीन भाग करके एक-एक मात्रा दिन में तीन-चार लेने से मधुमेह के रोगो के मूत्र में शर्करा बहुत कम हो जाती है।
6. जामुन के फ़ल की गुठलियों की गिरियों को छाया में सुखाकर और फिर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन प्रात-सायं तीन ग्रा. ताजा पानी के साथ लेते रहने से मधुमेह दूर होता है। कम से कम 21 दिन तक ले।
डिप्रेशन भी एक कारण:-
मनोबसाद और मधुमेह के बीच करीबी संबंध होता है। अमेरिकी चिकित्सकों का कहना है कि डिप्रेशन की बजह से लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं, डिप्रेशन कई अन्य परेशानियों को भी पैदा करता है। डॉ. सरिता हिल गोल्डन और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए एक ब्यापक अध्ययन में यह बात सामने आईं। यह अध्ययन 45 से 84 साल की उम्र के 6814 पुरुष व महिलाओ पर किया गया। इन लोगों में तीन साल में तीन बार एथीरोस्कलेरोसिस के खतरे के साथ टाइप-2 डायबिटीज और डिप्रेशन के लक्षणों की विधिवत जांच की गई। इसके साथ ही उनके वजन, ब्लड प्रेशर, डाइट व कसरत के तरीकों और धूम्रपान संबंधो अन्य आंकडे भी एकत्र किए गए। व्यापक अध्ययन के बाद डाक्टर गोल्डन और उनका दल इस नतीजे पर पहुँचा कि शुरू में जिन लोगों में डिप्रेशन के लक्षण मिले थे, तीन साल बाद उनमें डायबिटीज का स्तर 42 फीसदी बढ़ गया था। अधिक वजन वाले, कसरत न करने वाले और धूम्रपान करने वाले लोगों में डायबिटीज 34 फीसदी अधिक पाई गई। यही नहीं, जो लोग शुरू में डायबिटीज का इलाज ले रहे थे, तीन साल बाद उनके डिप्रेशन में भी 54 फीसदी पाया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि डिप्रेशन की वजह से मरीज ऐसी आदतों के शिकार हो जाते है ,जो डायबिटीज के लक्षण को गंभीर बनाती हैँ। मसलन अधिक खाना, कसरत न करना और धूम्रपान करना आदि। डिप्रेशन के चलते लोगों का ब्लड प्रेशर भी' असामान्य रहता है। शोधकर्ताओं ने लोगों को डिप्रेशन और डायबिटीज, ईन दोनों बीमारियों का एक साथ इलाज कराने की सलाह दी है। परहेज, संयमित दिनचर्या और 'योग' से इस पर काबू पाया जा सकता है।