गर्मियों में त्वचा संबंधित परेशानियों से ऐसे पाएं ...त्वचा की देखभाल, स्किन केयर..। Beauty Oils For Troubled Skin in Hindi
यूँ तो हर ऋतु में स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य की देखभाल करना आवश्यक है क्योकि ऋतु अनुकूल बचाव करके ही हम स्वस्थ रह सकते है एवं मौसम का आनन्द भी उठा सकते हैं । ग्रीष्म ऋतु में विशष तौर पर स्वास्थ्य एवं सौन्दर्य का ध्यान रखना आवश्यक हो ही जाता है क्योकि धूप की तीव्रता, धूल-मिटटी, गर्म हवाएं आदि की अधिकता से शरीर एवं सौन्दर्य पर विपरीत प्रभाव पडता है।
1. इस ऋतु में अच्छा यही रहेगा कि दिन में दो बार स्नान किया जाएं । प्रात: ताजे स्वच्छ जल से स्नान करें । शाम को भी स्नान करें तो उत्तम रहेगा इससे शरीर में चुस्ती व स्कूर्ति आती है । नहाने के पानी में कुछ बूंदे नींबू की मिलाकर नहाएँ तो अच्छा रहेगा या फिर पानी में गुलाबजल मिला कर नहाएं इससे भी ताजगी का एहसास होगा एवं शरीर में पसीने की अधिकता के कारण आई बदबू भी दूर होगी । नहाने के पश्चात बगलो आदि के नीचे अच्छी श्रेणी का पाउडर का प्रयोग करें ।
2. पसीने से आई बदबू दूर करने हेतु हल्दी को दूध में पीसकर शरीर पर लेप करना भी हितकारी है । नहाने से लगभग एक-दो घण्टे पूर्व इसका शरीर पर लेप करेंएवं बाद में नहाएं । वैसे भी जिन व्यक्तियो के शरीर से हर समय दुर्गन्ध आती है उनके लिए भी यह श्रेष्ठतम उपाय है तेल मालिश करना भी इस ऋतु में विशष लाभप्रद है । यदि प्रतिदिन ऐसा करना संभव नही हो तो सप्ताह में एक दो बार ही शरीर की मालिश अवश्य करें। सरसो का तेल या जैतून के तेल का प्रयोग कर सकते है । इससे शरीर में चुस्ती आने के साथ ही त्वचा कोमल व सुंदर बनती है ।
इन दिनो पसीने का अधिक आना भी एक समस्या हो जाती है । बगल, हथेली , सिर की त्वचा एवं तलवे थोडी सी गर्मी से ही पसीने से तर-बत्तर होने लगते हैं । यदि पसीने का ध्यान न रखा जाए तो पसीना एवं गंदगी मिलकर त्वचा पर जम जाते हैं । परिणामस्वरूप त्वचा के रोमछिद्र बंद होकर त्वचा संबधी रोग जैसे फोड़े, फुन्सियॉ, घमोरियाँ आदि उत्पन्न हो जाते हैं । पसीने के न सूखने से बदबु भी उत्पन्न हो जाती है अत: इनसे बचाव एव तरोताजा रहने हेतु प्रतिदिन पूरे शरीर की सफाई करना आवश्यक है ।
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गर्मियों में त्वचा में होने वाली परेशानी को दूर करने के उपाए
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3. यदि चेहरे पर पसीना अधिक आता हो तो नीम साबुन का प्रयोग करें । यदि चेहरे की त्वचा तैलीय हो तो सप्ताह में एक बार भाप अवश्य लें । यदि त्वचा सामान्य है या शुष्क है तो पंद्रह दिनो के अंतराल में भाप लें ।
4. तैलीय त्वचा होने पर एक बडा चम्मच बेसन, खीरे का रस एवं संतरे का रस आधा आधा चम्मच एवं थोडा सा शहद मिलाकर चेहरे पर लगाएं । सूखने पर धो लें ।प्रतिदिन एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी चौथाई कप दूध में रात के समय भिगो दें एवं प्रात काल चेहरे पर लगाएं । जब यह अच्छी तरह सूख जाएं तो हल्के गुनगुने पानी से चेहरा धो लें । एक चम्मच सौंफ को पानी में उबालकर काढे की तरह बना लें । जब यह ठण्डा हो जाएं तो इसमें एक बडा चम्मच मुल्तानी मिट्टी या चंदन का चूरा मिलाकर लगाए । गर्मियों में निकलने वाले अतिरिक्त तेल के साथ ही मुहासे भी इस प्रयोग से ठीक होते हैं ।
5. इस ऋतु में धूप की तीव्रता से भी चेहरे कीं रक्षा करना आवश्यक होता है क्योकि सूर्य की तेज किरणों के प्रभाव से चेहरा काला पड़ जाता है । चेहरा झुलसने के साथ ही इस पर झुर्रियां भी पड जाती है । दोपहर के समय यथासंभव यह प्रयास करना चाहिए कि बाहर निकलना ही ऩ पडे ।
6. तेज धूप का प्रभाव शरीर की त्वचा पर भी पडता है । तेज धूप से त्वचा जल जाती है या धूप के प्रभाव से त्वचा पर लाल चकते या फफोले पड जाते हैं इससे बचाव हेतु जैतून का तेल दिन में दो तीन बार लगाएं ।
7. तेज धूप से त्वचा या चेहरे का रंग फीका या बदसूरत होने पर कच्चे टमाटर को छाछ के साथ मिलाका लगाना भी लाभ कारी होता है । इससे त्वचा को ठण्डक मिलती है एवं कालापन भी दूर होता है ।
ग्रीष्म ऋतु में आँखी की सुरक्षा एवं नेत्र रोगों से बचाव हेतु द्वात में सोने से पूर्व आंखो में 2-2 बूंद गुलाबजल डालें ।
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8. गर्मियों में होठों की और भी विशेष ध्यान दे वे । गर्म हवाओं एव धूप की तीव्रता से होंठ काले पड जाते है एवं फट जाते है अत: बचाव हेतु गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर लगाएं । चाहे तो दिन में दो बार गुलाब की पंखुडियॉ को भी मल सकते हैं
9. नींबू का रस कच्चे दूध में मिलाकर लगाना भी होठों के लिए लाभप्रद है इसे होठों पर लगाकर 10 से 14 मिनट के पश्चात होठों को धो लें ।
10. बालों का ररव-रखाव भी इस ऋतु में आवश्यक 'है । बालों का तेज धूप से बचाव आवश्यक है । दिन के समय यदि बाहर निकले तो हैट या छतरी का प्रयोग करें । सप्ताह में 2-3 बार बालों को अवश्य धोए। प्रतिदिन बालों में कंघी करके कुछ देर खुला अवश्य छोडें ।
11. गर्मी में पैर खुले होते हैं अत: पैरों के टरवनो की सफाई की और विशेष ध्यान देना चाहिए ।
गर्मियों के मौसम में वस्त्रो के चयन की और भी ध्यान देना चाहिए। वस्त्र चुस्त न होकर ढीले पहनने चाहिए । गहरे रंग की अपेक्षा हल्के रंग के सूती वस्त्र धारण करना चाहिए । सूती वस्त्रो से सूर्य की किरणों का असर नहीं पडता है। टेरीकाट के वस्त्रो से पसीना सूख नहीं पाता एव अंदर की गर्मी बाहर नहीं निकल पाती ।
12. उपरोक्तानुसार सौन्दर्य रक्षण के अलावा उत्तम स्वास्थ्य हेतु संतुलित भोजन करना चाहिए । मौसम के अनुसार सभी मौसमी फ्लो का सेवन करना चाहिए । बहुत ज्यादा मिर्च -मसाले गरिष्ठ भोजन करना अनुपयुक्त है । वैसे भी इस मौसम में पाचन क्षमता कम हो जाती है । अत: हल्का सुपाच्य भोजन ग्रहण करना ही यथोचित है
12. उपरोक्तानुसार सौन्दर्य रक्षण के अलावा उत्तम स्वास्थ्य हेतु संतुलित भोजन करना चाहिए । मौसम के अनुसार सभी मौसमी फ्लो का सेवन करना चाहिए । बहुत ज्यादा मिर्च -मसाले गरिष्ठ भोजन करना अनुपयुक्त है । वैसे भी इस मौसम में पाचन क्षमता कम हो जाती है । अत: हल्का सुपाच्य भोजन ग्रहण करना ही यथोचित है
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13. भोजन समय पर करें । भोजन में हरी साग-सब्जियों का पर्याप्त समावेश हो । रात्रिकालीन भोजन सोने से कुछ घण्टे पहले ही ग्रहण करे जिससे वह पच जाए।
14. प्रतिदिन प्रात:कांल जल्दी उठें । सुबह व्यायाम का नियम बना लें तो अति उत्तम है या फिर प्रात कालीन भ्रमण कर सैर हेतु जा सकते है इससे ताजी हवा भी मिलती है एवं दिन भर चुस्ती-स्कूर्ति भी बनी रहती है । प्रात:कालीन हरी घास पर चलना भी अत्यन्त लाभप्रद है ।
15. प्रात: उठकर दो तीन गिलास सादा जल पीयें, इससे क्या दूर होती है । यदि एक गिलास पानी में नींबू मिलाकर पीयें तो उत्तम होगा, इससे ग्रीष्मकालीन रोगों से बचाव होता है । .
16. इस ऋतु में दिन भर में काफी मात्रा में पानी पीना चाहिए । वैसे भी शरीर का तापमान बनाए रखने के लिए शरीर की आबश्यक्लानुसार पानी पीना चाहिए । चूँकि इस ऋतु में तापमान काफी बढ़ जाता है अत: स्वाभाविक रूप से शरीर के तापमान में भी वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरूप शरीर से काफी मात्रा में जल पसीने के रूप में निकल जाता है । यदि इसकी पूर्ति न क्री जाए तो शरीर में पानी की कमी संभावित है इसलिए ग्रीष्म ऋतु में बिशेष ध्यान देते हुए पर्याप्त मात्रा में कम से कम २ -३ लीटर पानी प्रतिदिन पीना चाहिए ।
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बर्फ एवं आइस्कीम का प्रयोग भी कम काना ही यथेष्ट है । इनके अधिक सेवन से पाचन क्रिया बिगडती है । साथ ही दाँत की जडें कमजोर होती है एवं गले में खराश उत्पन्न होती है ।
खानपान की और ध्यान देने के अलावा उत्तम स्वास्थ्य हेतु पर्याप्त नींद भी आवश्यक है । रात में जल्दी सोना चाहिए । रात को देर तक जागना हानिप्रद है ।