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गर्दन में दर्द के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, परीक्षण और परहेज के तरीकों ! gardan dard ka ilaj

गर्दन, सिर, कंधों तथा पेट के ऊपरी भाग में तनाव रहता है तथा इन स्थानों पर दर्द और भारीपन की अनुभूति होती है। गर्दन में दर्द के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, परीक्षण और परहेज के तरीके ! gardan dard ka ilaj चक्कर आने की शिकायत रहती है तथा गर्दन को मोड़ने में पीड़ा होतीं है।

 गर्दन में दर्द के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, परीक्षण और परहेज के तरीकों ! gardan dard ka ilaj 

सर्वाइकल स्पोडिलोसिस ग़र्दन की हहिडयों का रोग है और आजकल यह रोग अधिकांश व्यक्तियों को है। 

गर्दन में दर्द के मुख्य लक्षण :-

गर्दन, सिर, कंधों तथा पेट के ऊपरी भाग में तनाव रहता है तथा इन स्थानों पर दर्द और भारीपन की अनुभूति होती है।  चक्कर आने की शिकायत रहती है तथा गर्दन को मोड़ने में पीड़ा होतीं है

गर्दन में दर्द के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, परीक्षण और परहेज के तरीकों के बारे मेंgardan dard ka ilaj
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गर्दन में दर्द के कारण :-

गर्दन में सात हड्डिया होती हैं। हहिडयों के ये गुटके एक-दूसरे के ऊपर होते है, और इनमें से प्रत्येक के बीच मैं एक विशेष दूरी होती है। कईं अवस्थाओं ' जैसै उम्र का बढना, चोट लगना, हहिडयों  संबंधी कई रोग हो जाना तथा हहिडयों के घिसने या बढ़ जाने की अवस्था में इन गुटकों के बीच की दूरी असामान्य हो जाती है, जिससे वहां से निकलने वाले तंत्रिकाओ पर दबाव पड़ने लगता है। यह दबाव ही इस रोग के लक्षणों को जन्म देता है। इनमें यदि प्रदाह युक्त अवस्था है तो उसे सर्वाइकल स्पोडिलोटिस कहते है। तनाव युक्त वातावरण में लगातार कार्य करना भी इस स्थिति को जन्म देता है।
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गर्दन में दर्द के यौगिक उपचार :-

पीछे की तरफ मुड़ने वाले आसन लाभप्रद साबित होते हैं। आप भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, सप्तवज्रासन, गोमुखासन, मत्स्यासन तथा चक्रासन के अभ्यास करें। इन आसनों में पीछे की तरफ मुह कर अभ्यास किया जाता है। लंबे गहरे  श्वास लेने का अभ्यास करें। प्राणायाम में नाड्रीशोधन एवं
उज्जायी प्राणायाम तथा सूक्ष्म व्यायाम में व वर्णित गर्दन एबं कमर की क्रियाएं भी विशेष लाभ पहुंचाती है।
गर्दन के लिए सूक्ष्म व्यायाम सीधे बैठकर 'गर्दन को दाहिनी और घुमाते हुए पहले दाहिने कंधे से लगाएं। इसी तरह बाए कधे से लगाए। इसके बाद गर्दन को आगे की ओर झुकाते हुए ठोड़ी को छाती से लगाए, फिर धीरे-धीरे पीछे की ओर यथा शक्ति झुकाए। अंत में गर्दन को वृत्ताकार में दोनो' दिशाओं में क्रमश: घुमाना चाहिए।
दाए हाथ, की हथेली को दायी और कान के ऊपर सिर पर रखकर हाथ से सिर को दबाए तथा सिर से हाथ की ओर दबाब डालें। इस प्रकार हाथ से सिर को तथा सिर से हाथ को एक दूसरे के विरुद्ध दबाने से गर्दन में एक कम्पन होता है। "इस प्रकार चार-पांच बार दबाव 'डालकर बायीं ओर से इस क्रिया को करना चाहिए। '
अन्त में दोनों हाथ की अंगुलियों को एक-दूसरे में डालते हुए हाथों से सिर को तथा सिर से हाथों को दबाना चाहिए। ऐसा करते हुए सिर तथा गर्दन सीधी रहेगी। विरुद्ध दबाब से मात्र एक कम्पन होगा, जो गर्दन के आरोग्य के लिए तथा वहा पर रक्त संचार को सुचारु करने के लिए आवश्यक है।
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दिनचर्या :-

आगे झुकने वाले आसन तथा ऐसा ही कोई अन्य काम न करें। अक्सर इस रोग में परेशानी से कब्ज हो जाती है। इसलिए पेट को साफ़ रखें। 

प्राकृतिक उपचार :-

इस रोग के प्राकृतिक उपचार में दर्द के स्थान पर गरम-ठंडा सेंक या इन्कारेड लैम्प का सेंक तुरन्त लाभ पहुंचाता है।
गले की लपेट इसका प्रभावी उपचारहै। अन्य इलाजों में मिटटी की पटटी तथा पेट साफ न रहने पर एनिमा लेना चाहिए।

रीढ़ स्नान तथा इमर्शन बाथ इसके विशेष उपचार हैं।
ऐसे रोगी को कुछ दिनों तक फलाहार पर रखने से विशेष लाभ मिलता है। बाद में सामान्य भोजन पर आने पर भोजन बिलकूल हल्का और सात्विक रखना चाहिए।
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आदतें बदलें :-

गर्दन का काम न सिर्फ हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग सिर को सहारा देना है बल्कि इसका लचीलापन भी हमारे लिए बहुत आवश्यक है।
कईं बार हम हाथों की जगह गर्दन का इस्तेमाल करते हैं जैसे हाथों से कोई और काम करते हैं और गर्दन में टेलीफोन रिसीवर कान के पास दबाए रखते हैं। यह गलत आदत है। लिखते-पढते समय हम अपनी गर्दन को आमतौर पर आगे की और झुका कर रखते हैं। यह एक गलत मुद्रा है। इससे बचने के लिए ढलानदार मेज़ का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि गर्दन पर बल न पड़ने पाए। इसके अलावा हमें काम के बीच में गर्दन को भी चैन की सांस लेने देनी चाहिए। 

गर्दन की तकलीफ की शुरुआती अवस्था में आराम, सिकाई और कॉलर की मदद से राहत मिलती है।
गर्दन के व्यायाम योग्य चिकित्सक और अनुभवी योगाचार्य से परामर्श लेने के बाद ही शुरू करें या दर्द किन कारणों से है इसका पता लगने के बाद ही व्यायाम प्रारंभ करें। किसी भी तरह का सिरहाना गर्दन के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता है। 

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