सिरदर्द दूर करने के शानदार उपाय.......sir dard ke prakar or iske ilaj in hindi
सिर दर्द है तो एक साधारण रोग लेकिन यह कईं कारणों से होता है। हम क्या करते हैं कि कारण को जाने बिना झट से सिरदर्द की कोई गोली खा लेते हैं । यह आदत एक दिन बड़े रोग का कारण बन सकती है।
सिरदर्द दूर करने के शानदार उपाय |
सिरदर्द क्यों होता है
पहले तो आप यह जान लें, सिरदर्द शरीर में पनप रहे किसी रोग का लक्षण है महिलाए इससे अधिक परेशान रहती है मासिक स्राव के समय ठंड लग जाने से जब रक्त आना बंद हो जाता है, तब उन्हे सिरदर्द होने लगता है। कब्ज का रहना, पाचन खराब रहना, वायु प्रकोप होना, शरीर में रक्त की कमी होना अधिक परिश्रम करना, मानसिक तनाव रहना, देर रात तक जागना आदि कईं ऐसे कारण है, जो सिरदर्द को उत्पन्न करते हैं। मलेरिया का बुखार निमोनिया व पेट तथा यकृत के रोगों में जब रक्त में जमा होने लगता है, तब भी सिरदर्द रहने लगता है अनिद्रा, हदय रोग आदि अन्य कारणों से जब सिर में पर्याप्त रक्त नही पहुच पाता है, तब भी सिरदर्द की शिकायत रहने लगती है। कई लोगों को यह रोग आधे सिर में भी होता है। सिरदर्द को आने वालो स्नायु सबंधी बीमारियों की सूचना भी समझा जा सकता है। आपने देखा सिर दर्द एक नहीं कई रोगो का लक्षण है। सिर दर्द की लगातार शिकायत ही तो प्राकृतिक एवं यौगिक चिकित्सा की मदद ले क्योकि इनसे विकार दूर होकर सिर दर्द से स्वाभाविक रूप से मुक्ति मिलती है।
दिनचर्या में शामिल करें
गर्म पानी का स्नान 20 मिनट तक करें। इसके बाद ताजे पानी से शरीर को रगड़कर स्नान करें । इसके बाद 30 मिनट की योग-निद्रा करें। इससे विशेष लाभ होता हैं पेट साफ न रहता हो तो एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गर्म जल के साथ रात में सोते समय अंतिम बस्तु के रूप में ले। सुबह शौच खुलकर होगा।
योगाभ्यास की आदत डालें
रात मैं जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठकर रवुले पार्क में सैर करना, योगाभ्यास करना तथा प्राणायाम करना सिरदर्द की प्रधान चिकित्सा है
योगासन:-
पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास कम से कम दो-तीन बार करें । इसका अभ्यास अधिक समय तक किया जा सकता है। भरे पेट में और झटके के साथ कदापि न करें। यदि यकृत, तिल्ली काफी बढे हुए हो, आत में सूजन या अर्पेडिसाइटिस या उदर दो अवयवों का कोई रोग हो तो इस आसन को न करें। सामान्य रूप से वायु रोग, मधुमेह बहुमूत्र, प्रमेह, स्वप्नदोष, अजीर्ण, मंदाग्नि, कब्ज का दर्द, गठिया टांगों का दर्द आदि कई प्रकार को बीमारिया जड़ से चली जाती हैं। मोटापा, सायटिका, बवासीर कमर दर्द आदि की रामबाण औषधि है।
धनुरासन :-
मेरुदण्ड लचीला बनता है और स्वस्थ रहता है। सूर्य केन्द्र (नाभि) टलना दूर होता है। स्त्रियों की मासिक धर्म संबधी विकृतियों में लाभदायक है गुर्दों को पुष्ट करके मूत्र विकारों को दूर करता है। भय के कारण मूत्र स्राव होने जैसी स्थिति में लाभकारी है।उत्तानपादासन :-
यह आसन स्त्री-षुरुष समान रूप से कर सकते हैं यह आसन सर्बागासन की तरह ही लाभदायक है मोटापा दूर करता है प्रसव में बाद इसका अभ्यास करने से महिलाओ के पेडू का भददापन दूर होता है। हार्निंया रोग नहीं होता है। घबराहट जैसी बीमारियां नहीं होती है दिल की धडकन, श्वास फुलना आदि रोग दूर हो जाते हैँ। सामान्य रूप से दस्ते, पेचिश, मरोड, रवूनी दस्त, नलाँ की खराबी. वृद्धि जलंधर, पेट-दर्द, कज्ज पैरों का दर्द, फेफडों के रोग, खांसी आदि अनेक रोग ठीक हो जाते हैउष्टासन:-
उष्टासन श्वसन तंत्र के लिए लाभकारी है। फेफडों को सक्रिय करता है। सवाईकल, स्पॉडोलाइटिस एबं सियाटिका आदि समस्त मेरुदण्ड के रोगों को दूर करता है। थायराइड के लिए लाभकारी है। स्नायु पुष्ट होते हैं।हलासन:-
मेरन्दण्ड को स्वस्थ एवं लचीला बनाकर पृष्टभाग की मांसपेशियों को भी विस्तृत एवं निरोग बनाता है। थायराइड-ग्रंथि को चुस्त करके मोटापा , बौनापन एबं दुर्बलता आदि को दूर करता है। अजीर्ण , मन्दाग्नि, गैस, कज्ज, तिल्ली व यकृत बृद्धि तथा हदय रोग में लाभकारी है। मकरासन, सर्वागासन तथा मत्स्यासन आदि का अभ्यास करने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सिरदर्द में प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करने से पेट के समस्त रोगों का नाश होता है। और सिरदर्द से मुक्ति मिलती है। शीतली तथा नाडी-शोधन प्राणायाम का भी अभ्यास रोगी को करना चाहिए।
ओषधीय प्रयोग-
1. सुबह उठते ही भूखे पेट सेब पर नमक लगाकर खाए, फिर ऊपर से गुनगुना पानी या कुछ देर बाद एक कप हल्का गरम दूध पी ले। इस दिनों के अंदर सिर दर्द गायब हो जाता है।
2. लहसुन की एक…दो कली छील कर चबाइए' और धीरे धीरे निगल जाइए। कुछ ही देर में सिर दर्द दूर हो जाता है।
3. सर्दी जुकाम में सिर दर्द होने पर साबुत धनिया तथा मिश्री का काढा बनाकर दिन में एक दो बार पिए।
4. पेट गैस के कारण यदि सिरदर्द या चक्कर आता हो तो गर्म पानी में नीबू निचांड़ कर पिए।
5.जिस नथुने से सांस चल रही हो, उसे रुई से बंद कर दूसरे नथुने में सरसों का तेल लगाकर धीरे-धीरे सांस लेने से सिरदर्द चला जाता है ।
6.साधारण सिरदर्द दाल चीनी को पीसकर ललाट पर लेप करने से दूर हो जाता है।
7.जुकाम की वज़ह से सिरदर्द होने पर दोनों पैरों को गर्म पानी में रखने से लाभ होता है।
8. पुराने सिर दर्द में बादाम को भीगी गिरी सुबह पीसकर तथा घी में भुनकर गर्म पानी में मिलाकर पी लें। इससे पुराना सिर दर्द भी ठीक हो जाता है।
9.सर्दी से होने वाला सिर दर्द एक ग्राम अफीम तथा दो लोंग पीसकर और गर्म करके माथे पर लेप करने से दूर हो जाता है।
10. लौकी का गूदा निकाल कर खूब बारीक करके माथे पर लेप करने से घंटे भर में ही गर्मी के कारण होने वाला सिरदर्द दूर हो जाता है।
11.सूखे आवलों को दस दिन तक सरसों के तेल में डूबा कर रखें। यह तेल सिरदर्द के लिए बहुत ही गुणकारी होता है।
12. एक गिलास दूध में पिसी इलायची मिलाकर पीने से सिरदर्द में आराम मिलता हैं।
13.सुबह के समय खाली पेट जलेबी दूध में डालकर खाने से भी सामान्य सिरदर्द में आराम मिलता है।
14. ग्यारह बेल पत्र पीसकर उसमें से रस निकालें और सर्दियों में यह रस बिना कूछ मिलाएं ही पी जाएं तथा गर्मियों में थोड़ा पानी पिलाकर पीएं। इस औषधि के सेवन से पुराने सिरदर्द में लाभ होता है। तीन-चार दिन में ही आराम मिल जाता है। 15. गाय का ताजा घी सुबह-शाम दो चार बूद नाक से रुई से टपकाने या सूघते रहने से सिर दर्द में आराम मिलता है। साथ ही इससे नाक से खून गिरना भी जड़मूल नष्ट ही जाता है। सात दिन तक यह प्रयोग करे।
16.सूखा आवला छ: ग्रा० और धनिया सूखा दाना छ: ग्रा० लेकर जौ कूट कर लें। रात में मिटटी से बने बर्तन में 250 ग्रा० पानी में भिगो दें। सुबह के समय मसल-छानकर एक-दो चम्मच मिश्री का चूर्ण मिलाकर पीने से तीन-चार दिन में ही सिर दर्द , सिर घूमना एबं चक्कर आना बन्द हो जाते हैं। इससे गर्मी के कारण होने वाला सिर घूमना एवं चक्कर आने बंद हो जाते है। इससे गर्मी के कारण होने वाला सिरदर्द भी मिट जाता है। गर्मी या दिमाग की कमजोरी के कारण अचानक आखो के आगे अधेरा छा जाने में भी आराम होता है। इसे आठ-दस बार लें। आधे सिर र्क दर्द में भी यह लाभ पहुचाता है ।
भोजन
1. फलाहार और दूध सिरदर्द के रोगी के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार है। पहले एक हपत्ते तक फलों और सब्जियों का ताजा रस ले। इसक अतिरिक्त एक बार दूध का सेवन करें। सुबह में दो चम्मच आंवले का रस आधे चम्मच शहद के साथ ले
2. एक हफ्ते के बाद सुबह 6-7 के बीच नीबू-पानी, नीबू-पानी-मधु के साथ या आंवले का रस मधु के साथ लें।
3. सुबह 8 बजे फल का रस या गाजर का रस लें। सुबह 9 बजे किशमिश, मुनवका, अजीर तथा बादाम की भीगी हुई 7-8 गिरी से इसके साथ इलायची अदरक डालकर उबला हुआ एक गिलास दूध भी लें। दिन मे 12 बजे फलों का रस या फल ले सकते हैं।
4. डेढ़ बजे भोजन में सलाद, सब्जी, साग वाली चपाती , दही आदि लें।
पांच बजे शाम को केवल फल लें। शाम के सात बजे फल और सब्जी का सूप लें।
रात्रि मे साढ़े नौ बजे दो चम्मच सूप लें।
5. रात्रि में साढे नौ बजे दो चम्मच घी, 7-8 बादाम की छिली हूई गिरी, थोड़ा खसखस , छोटी इलायची तथा 3 -4 काली मिर्च को मिक्सी में पीसकर धोड़ा पानी मिला लें। तथा हल्दी घी में भुनें और 200 मि. ली. दूध में डालकर उबाल लें। इसे रात में सोते समय पी लें। इससे तनाव दूर होगा और अच्छी नींद आयेगी।
भूख के अनुसार ही खाना खाएं।