दातो की गंभीर बीमारी है Payriya, payriya ka ilaj va iske lakshan kay he.
एक भयानक रोग है, पायरिया इससे निजात के अचूक उपाए - पायरिया एक खतरनाक किस्म का दंत रोग है यहाँ आम बीमारी होने के साथ ही अनेक बीमारी को उत्पन्न करता है इस व्याधि में मसूडों के आस-पास के छिद्रों से पीप युवत्त स्त्राव बहता है। इससे दांतो तथा मसूडों को सहारा देने वाले तन्तु तथा हड्डिया नष्ट होने लगती है। दांतो की पकड ' ढीली हो जाती है और वे हिलने लगते है। संक्रमण सारे दांतो तथा मसूडों तक फैलने पर पायरिया कहलाता है
पायरिया की तीन स्थितियां (प्रकार) होती हैं। प्रथम या प्रारंभिक स्थिति मे मुंह से दुर्गन्थ आती है। मसूडों को दबाने से दर्द, ब्रश या दातून करने से या हल्ले दबाव से भी खून आने लगता है, जो थोडी सी सावधानी एवं उपचार से ठीक हो जाता है। उपचार नही होने से दूसरो स्थिति पैदा होती है। डेण्टल प्लेक की परत ज्यादा जम जाती है। दन्तमूल तथा मसूड़े सूज जाते है। पीब युक्त रक्तस्राव ज्यादा होने लगता है निगलने के साथ यह स्राव पेट में पहुंच कर पाचन क्रिया को कमजोर करता हैहै। मुँह की दुर्गन्ध बढ़ जाती है गुर्दे आदि अंग क्षतिग्रस्त होने लगते हैं । दांत कमजोर होकर हिलने लगते है तीसरी उग्र स्थिति मे तीव्र संक्रमण के कारण पीप तथा खून का रिसाव और मुंह की दुर्गन्ध चरम सीमा पर पहुंच जाती है । पेट में पहुंचकर यह हानिकारक रिसाव पेट में सूजन, अल्सर, अजीर्ण ,गले की सूजन , ज्वर तथा नेत्र विकार पैदा करते है । रक्त के ' साथ मिलकर दिल, दिमाग, गुर्दे , यकृत ' तथा फेफडे को संक्रमित करते है । दांत की जड़े नष्ट होने लगती है दांत हिलने एवं गिरने लगते है । प्रौढावस्था ’मे दांत गिरने का प्रमुख कारण पायरिया है । मुँह की दुर्गन्ध बढ़ जाती है गुर्दे आदि अंग क्षतिग्रस्त होने लगते हैं । दांत कमजोर होकर हिलने लगते है । तीसरी उग्र स्थिति मे तीव्र संक्रमण के कारण पीप तथा खून का रिसाव और मुंह की दुर्गन्ध चरम सीमा पर पहुंच जाती है । " पेट में पहुंचकर यह हानिकारक रिसाव पेट में सूजन, अल्सर, अजीर्ण ,गले की सूजन , ज्वर तथा नेत्र विकार पैदा करते है । रक्त के ' साथ मिलकर दिल, दिमाग, गुर्दे , यकृत ' तथा फेफडे को संक्रमित करते है । दांत की जड़े नष्ट होने लगती है दांत हिलने एवं गिरने लगते है । प्रौढावस्था ’मे दांत गिरने का प्रमुख कारण पायरिया हे।
payriya ka ilaj |
पायरिया होने के लक्षण
दांतों की जडों के आस-पास विभिन्न गहराई के गड्ढे होते है ! इनमें पूय, पीब, या पस भरा रहता है। इनमे नानाप्रकार के रोगाणु पाए जाते हे । इन्ही के कारण दुर्गन्ध्र आतीं है । पायरिया रोग में दर्द नहीं होता है। टारटर की परत भी इतनी महीन होती है कि प्रारम्भिक स्थिति का पता नही चला पाता है । हर समय अरुचि बनी रहती है। मसूड़े लाल, संवेदनशील क्या रक्तस्राव के लक्षण दिखते है । मसूडों मेँ सूजन तथा दांतों के हिलने पर पायरिया का पता चलता है।
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पायरिया होने के कारण :-
दांतो के मसूडों का संक्रमण जिजिवाइटिस, स्पाइरिंलेक, फ्यूजीफार्मा बेसीलाई, मुंह तथा दांतो की स्वच्छता पर ध्यान नही देना, भोजन के बाद ब्रश नही करना, चॉकलेट, कॉफी, मीठी गोलियां,आदि मीठो चीजें खाने से कार्वोहाड्रेट या स्टार्च के कण दातो के मध्य फंस जाते है, इस कारण कीटाणु अपनी संख्या बढाकर सड़न पैदा करते है, जिससे मुंह से दुर्गन्ध आती है। भोजन के बाद ब्रश नही करना, विटामिन सी तथा बी का अभाव, पेट के अन्य रोग आदि अनेक कारण है, जिनसे पायरिया रोग होता है।
दांतों के चारों तरफ छिपे फंसे कण, ब्रश नही करने से सड़कर अम्ल पैदाकर दांतों को चमक एनामेल नष्ट करते है। दांतों के सबसे बडे दुश्मन स्टार्च, शर्करा, कार्वोहाड्रेट तथा खटटे फल है। इनके उपयोग के बाद ब्रश से दांत साफ काना अत्यन्त अनिवार्य है। कम से कम अंगुलियों से दांतों को साफ कर कुल्ला करें। तम्बाकू, सुपारी, पानमसाला, धूम्रपान तथा पान के सेवन, उदर, मधुमेह तथा गुर्दे संबंधी रोग के कारण पायरिया होते देखा जाता है।
कईं बार बनावटी दांत को गलत ढंग से लगाने, दांतों को केबिटी को गलत ढंग से भरने तथा दांतो के बनावटी काउन लगाने से भी पायरिया हो सकता है।
पायरिया किसी भी दांत में, किसी भी उम में हो सकता है। पायरिया होने पर प्राय दंत विशेषज्ञ दांतों को निकाल देने की सलाह देते है, परन्तु यह स्थाई समाधान नहीं है। मूल कारण को दूर करना हो इस रोग का स्थाई उपचार है। अन्य रोगो की तरह शरीर मे संचित विजातीय विष ही इस रोग का प्रधान कारण है। संचित विकार के कारण दांतों में नाना प्रकार के कीटाणु पनपते है। इनके संदूषित विष टॉक्सिन खून के साथ मिलकर भीतर हो भीतर शरीर को खोखला का असमय नाना प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त करते है। पायरिया के प्राकृतिक उपचार में सारे शरीर को बिष विहीन कर दांतों की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य पर बल दिया जाता है । इस तरह इस संघातक बीमारी से मुक्ति मिल सकती है ।
पायरिया में सर्वप्रथम शरीर के आंतरिक अवयवों की सफाई कर विकार रहित करना चाहिए। इसके लिए पेट पर गीला कपडा रखकर ऊपर से गरम थैली रखकर 5 मिनट सेक करके मिट्टी की पट्टी आधे घंटे के लिए रखें । पेट की मालिश करके नीम के पत्ते डालकर उबाले गए डेढ लीटर गुनगुने पानी का एनिमा दें । रोगी की स्थिति के अनुसार ठण्डा कटि स्नान , गीली चादर लपेट , गरम-ठण्डा पूर्ण टब बाथ, धूप स्नान, वायु स्नान बदल-बदल कर प्रतिदिन दें ! इससे शरीर विकार रहित होता है । रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है ।
अमरीकी चिकित्सक बर्नर मैकफेडन के अनुसार सारे शरीर को विकार रहित करने के साथ स्थानीय उपचार मेँ दांतों पर गरम ठण्डा कम्मेस अथवा स्थानीय वाष्प दें । नीम के पते डालकर उजाले गए गरम तथा बाद में ठण्डे पावों से क्रम से बीस बार गरारे करें।आहार चिकित्सा विटामिन सी तथा बी वाले आहार प्रचुर मात्रा में खाएं । दत विशेषज्ञों का कहना है कि संतरा ,टमाटर, आंवला, नीबू तथा अंकुरित आहार चिकित्सा विटामिन सी तथा बी वाले आहार प्रचुर मात्रा में खाएं । दत विशेषज्ञों का कहना है कि संतरा ,टमाटर, आंवला, नीबू तथा अंकुरित अम्मादि का सेवन प्रचुरता से कों । विटामिन सी की दृष्टि से आंवले का कोई मुकाबला नही है। 5 से 7 दिन तक रोगियों को नींबू पानी या शहद मिले पानी को ही पीकर उपवास करवाएं। 5 दिन नारंगी, अंगूर या मौसम्मी के रस पर रहें । 5 दिन सलाद तथा अकुंरित अनाज पर रखें। अंकुरित अनाज सलाद तथा फ्त खूब चंबकु चबाकर खाने से दांतों का भलीभांति व्यायाम होता है । जर्मनी तथा भारत में किए गए प्रयोगों से ज्ञात हुआ 'है कि भोजन के बाद पत्तागोभी को खूब चबा चबाकर खाने से पत्ता गोभी में स्थित पोटेशियम थायोसाहनेट दांतों के रोगों तथा कीटाणुओं को नष्ट का सुरक्षा प्रदान करता है । पता गोभी के अभाव में मूली , शलजम, गाजर, सेब, अमरूद , गांठगोभी, नाशपाती आदि ठोस सब्जी या फल खाने के बाद गरम पानी से मसूडों 'एवं दांतों की मालिश कराते हुए साफ करें । सभी प्रकार के साइटिक एसिड वाले आहार दांतों को सुरक्षा एवं स्वास्थ्य प्रदान करते है । इनका सीधा सम्पर्क दांतों से होने पर ये दांतों कीं चमक एवं इनेमल को नष्ट कारते है ।
5. बच्चों को अगूंठा चूसने से रोकें अन्यथा दांत आगे निकल सकते है । दांतों का संक्रमण हो सकता है। अच्छी भूमि में ड़गे' नीम , बबूल की दातुन करे
पायरिया की रोकथाम:-
पायरिया के उपचार के पहले तथा बाद में रोकथाम के लिए निम्म उपाय करें ।
1. प्रत्येक भोजन तथा नाश्ते के बाद ब्रश या दातून अथवा सरसों के तेल में बारीक पिसे सेंधा नमक को मिलाकर दांतों क्या मसूडों की सफाई एवं मालिश करे। इससे पायरिया नियंत्रित होता है ।
2. अत्यधिक गरम चाय, कॉफी अति ठण्डा फ्रिज का आहार, आइसक्रीम आदि का प्रयोग नही करें । इसमे दांततथा मसूड़े खराब हो जाते है। '
3. दांतों को पिन या किसी भी चीज से कुरेदने की आदत से बचें। ऐसा करने से मसूड़े संक्रमित होकर सूज जाते है । दांत कमजोर हो जाते है । खून तथा पिब आने लगता है।
4. किसी अच्छे दंत विशेषज्ञ से दातो की सफाई कराएं। दांतों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें ताकि दांतों पर प्लेक जमने नही पाए।
5. बच्चों को अगूंठा चूसने से रोकें अन्यथा दांत आगे निकल सकते है । दांतों का संक्रमण हो सकता है। अच्छी भूमि में ड़गे' नीम , बबूल की दातुन करे
6. ब्रश या दातून अथवा सरसों के तेल में बारीक पिसे सेंधा नमक को मिलाकर दांतों क्या मसूडों की सफाई एवं मालिश करे। इससे पायरिया नियंत्रित होता है,
उपर्युक्त हिदायतों पर अमल कर मूल ' कारणों को दूर कारने से पायरिंया तथा अन्यदंत रोगों की रोकथाम अवश्य ही की जा सकती है।