दिनचर्या कैसे बनाये?.... स्वस्थ रहने के लिए दिनचर्या How to Make a Routine ? Routine to Stay Healthy
प्रकृति के नजदीक रहकर व्यक्ति जहाँ अपने सौदर्य और शारीरिक स्वास्थ्य को निरोग बनाए रख सकता है, वही योग-साधना का अभ्यास कर आजीवन आरोग्य लाभ प्राप्त कर सकता है। रोगी-निरोगी दोनों ही तरह के व्यक्ति अपनी दिनचर्या में इन आवश्यक बातों को शामिल कर समृद्ध एवं सुखी जीवन जी सकते हैं।
दिनचर्या कैसे बनाये |
1. सुबह उठकर एक या दो गिलास ताँबे के बर्तन में रातभर का रखा या स्वच्छ ताजा पानी पिए। दिनभर में दो-दो घंटे के अंतराल से एक-एक गिलास पानी पीए। कुल मिलाकर कम से कम तीन लीटर पानी जरूर पिए
2. सुबह शौचादि से निवृत्त होकर 30 मिनट तक तेज गति से भ्रमण करें या दौडे। योगासन, प्राणायाम, सूर्यं नमस्कार , बागवानी, तैराकी आदि किसी भी एक कार्य में कुछ पल बिताएं।
3. भोजन धैर्य पूर्वक धीरे धीरे चबाकर मौन रहते हुए करें। भूख जितनी हो उतना ही खाना खाएं और ध्यान रखें कि पेट 3/4 ही भरे। दिन में सात घण्टे के अंतराल से केवल दो समय ही समय भोजन करें।
4. सुबह ग्यारह से बारह तक और सायं छ: से सात बजे तक भोजन कर लें।
5. अनाज, दाल व सूखे मेवों को रात भर भिगोकर काम में लें। भोजन में केवल 1/3 भाग ही अन्न और दालें होनी चाहिए। बाकी 2/3 भाग हरी सब्जी हो। 20% पकाए हुए अन्न के साथ 80% कच्चा अन्न लें
6. कम चर्बी ( वसा) वाला तेल ही काम में लें, वह भी कम से कम मात्रा में ले।उचित मात्रा में कच्चा, अकुंरित अन्न, पत्तीदार हरी सब्जियां, मौसम के अनुसार फल, सलाद, फलों का रस, धनिए, पोदीन की चटनी का सेवन करें । पर्क भोजन में चोकर सहित गेहू के आटे की रोटी, बिना पालिश के चावल तथा सूप आदि लें। भोजन को भाप से पकाकर खाएं। 7. चाय की जगह शहद व नीबू का पानी, दूध की जगह दही/छाछ तथा चीनी को जगह गुड़ को महत्व दें।
8. दोनों समय भोजन करने के बाद 10 से 15 मि. तक वज्रासन में बैठे।
9. थोड़ कठोर विस्तार पर सोये तथा बहुत पतले तकिये का इस्तेमाल करें। सोने से पूर्व अपनी सारी चिताओं से मुक्त हो जाएं। बायीं करवट तथा पेट के बल (बलासन) सोने की आदत डालें। सोने व खाने के मध्य तीन घण्टे का अंतराल रखें।
दिनचर्या कैसे बनाये |
10. गहरी सांस लें और सीधे तन कर बैठे या चलें। दिन में दो बार शौच जाने एवं दो बार ठण्डे या ताजे पानी से स्नान करने की आदत डालें। स्नान करने के बाद पहले हाथों से मालिश करके पानी सुखा लें। फिर तौलिए से पोछें। दिन में दो बार ईश्वर का ध्यान करें। एक बार सुबह सूर्योदय से पहले तथा दो बार रात को सोने से पहले। 11. नमक, चीनी, मिर्च-मसाले, दालें, आइसक्रीम, पका हुआ भोजन आलू आदि सीमित मात्रा में लें। ऊंची एडी की चप्पल , जूते, टीबी व सिनेमा, मोटापा व थका देने वाले व्यायाम से बचें । 13. चाय, कॉफी, धूम्रपान, शराब, दवा ब अन्य बुरी आदतों से दूर रहे। मैदा ब पॉलिश किए हुए चावल, मांसाहार, सुबह का नाश्ता डिब्बा बन्द सुखाए हुए, मिलावटी रंगयुक्त, सुगध युक्त, कृत्रिम आहार आदि से बचें।
14. वनस्पति घी व सभी तरह के रिफाइंड तेल से दूर रहें। कोई भी अप्राकृतिक भोजन या पेय न लें।बिना भूख, बिना मन, चिंतित अवस्था या बुखार में भोजन न लें। बहुत गर्म या बहुत ठडे भोजन से परहेज करें। शोरगुल, हवा, पानी आदि के प्रदूषण से बचें। हानिकारक प्रसाधन सामग्री, कृत्रिम वस्त्र, साबुन, इंटीमेट का इस्तेमाल न करें।
15. भोजन के आधा घष्टा पहले तथा एक घण्टा बाद ही पानी पिए।
16. सोने के लिए नीद की गोलो का सेवन न करें। यदि रात को नीद न आये तो एक तौलिए को ठंडे पानी में गीला करक निचोड़ कर गदूदी की तरह बनाकर पेट पर रख लें। ऊपर से ऊनी कपडे से ढक ले। नींद आ जाएगी। देर रात खाना, भारी ब तला खाना, देर रात तक जागना छोड़ दें।
17. भोजन के बाद दांतों को पानी से अच्छी तरह से कुल्ला करके साफ़ कर लें।
18. सुबह और रात्रि दोनों समय दातून करें। प्रतिदिन कुछ कडी वस्तुए जैसै गाजर मूली, नारियल मुटूठं, गन्वे, सौंफ तिल आदि चबा-चबा कर खाए।
19 उचित मात्रा में विटामिन और खनिज लवण की प्राप्ति के लिए रोजाना नींबू, नारंगी, आंवला, पपीता, अमरूद, टमाटर, गाजर, अकुंस्ति, अन्न, पालक, मेथी आदि का सेवन करें।
20. दांतों में पस होने या पायरिया होने पर सुबह, दोपहर, शाम नीम को दस-दस पत्तियां चबाए। पेट की सफाई करें और कुछ दिन तक फलाहार करे।
21. दिन में एक बार नमक के गुनगुने पानी से गरारे करें । सुबह औंर सायं त्रिफला के पानी से आंखों को धोएं। इससे आंखों की ज्योति बढ़ती है। 22. सप्ताह में एक बार कुंजल करें । कब्ज होने पर एनिमा लें। सप्ताह में एक बार शरीर की मालिश और धूप स्नान लें या भाप स्नान करें । 23. रोजाना मुंह के तालू की हाथ के अगुठे से धीरे-धीरे मालिश करें । मुंह में पानी भरकर चेहरे व आखों पर पानी के छीटें मारें और कुछ समय हंसने और गाने में बिताएं।
24. फलों और सब्जियों पर रासायनिक खादय व दवाओं का छिड़काब होता है। इम्हें इस्तेमाल करने से पूर्व अच्छी तरह से धो लें।
25. टी वी देखना हो तो पर्याप्त दूरी से देखें।
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26. जल्दी सोना, जल्दी उठना सीखें। सप्ताह में कम से कम एक दिन उपवास रखें। उपवास के दिन पानी अधिक से अधिक पीए। केवल फलों का रस व नींबू, शहद पानी ही लें।
27. महीने में एक दिन प्राकृतिक उपचार यानी मिटटी की पटटी, एनिमा , मालिश, धूप या भाप स्नान अवश्य लें। इससे तन व मन दोनों की शुद्धि हो जातीं है।
28. जीने के लिए भोजन करें। भोजन के लिए न जिए। बीमारी से मुक्ति पाने के बाद स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक जीवन जीना चाहिए।
29. अधिक दवाई लेना बीमारी से अधिक खतरनाक है। पर्याप्त जगह, स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी, धूप, शारीरिक कार्य, सात्विक भोजन को जीवन में महत्व दें।
30. संतुलित आहार लेने , नियमित व्यायाम करने और पर्याप्त आराम(नीद)करने से व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता है।
31. उपवास , बीमारी से मुक्ति पाने के लिए एक मुख्य साधन है। पशु भी बीमारो में भोजन त्याग देते हैं। 32. जल्दबाजी में, चिंता में भोजन न करे। गरिष्ठ व चटपटा भोजन बीमारी को उत्पन्न करता है और शारीरिक ऊर्जा का इससे क्षय होता है।
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खान पान में संयम पालने वाले के लक्षण :-
1. वह सुन्दर और स्वादिष्ट भोजन देखकर ललचाया नहीं करता ।2. वह केवल उतना भोजन करता है, जितनी उसे भूख होती है तथा जितना वह अपनी शरीर रक्षा के लिये आवश्यक समझता है ।
3. उसकी अच्छा और स्वादिष्ट भोजन पाने की इच्छा सर्वथा नष्ट हो जाती है ।
4.मादक और उत्तेजक पदार्थों से उसे पूर्ण रूप से घृणा हो जाती है ।
5. उसे अच्छी और गम्भीर निद्रा आती है, प्रात-काल उसकी नीद खुल जाती है । सोकर उठने पर उसका हदय खूब आनन्द और उत्साह से भरा रहता है ।
6. परिश्रम करने मे उसका ख़ूब मन लगा करता है।
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7. उसका हदय सदैव स्वर्गीय आनन्द से पंरिपूर्ण रहता है, जिससे प्रभु प्रार्थना में उसे बडा सुख मिलता है ।
8. वह प्रलोभन का दास नहीं रहता।
9. उसकी वासनाएँ उसे अधिक नहीं सतातीं तथा वह सहज ही उन पर बिजय प्राप्त का लेता है ।