आजकल अधिकांश देशों में इसका उत्पादन होता है । भारत के बागों एवं खेतों में इसके पौधे लगाए जाते है । यह चीन में बहुतायत में उगाया जाता है, पुदीने की बुवाई कभी भी की जा सकती है किन्तु फिर भी इसे वर्षा की समाप्ति के समय बोना उपयुक्त होता हैगर्मियों में अच्छा फलता-फूलता है । बतौर औषधि के रूप में यह अद्वितीय है । बहुधा चटनी के मसाले के रूप में यह प्रयुक्त किया जाता है । यह चटनी अजीर्ण दूर काने में हितकारी है । दाल -साग, कडी में भी यह डाला जाता है ।नर्म जमीन पुदीने के लिए अधिक अनुकूल होती हैं । इसके छोटे-छोटे पौधे जमीन पर फैलते हैं एवं स्थान -स्थान पर अपने मूल डालते हैं । इसके पत्ते तुलसी के पत्तों के सदृश्य होते हैं । पुदीना प्रतिदिन ताजा, हरा मिले इस हेतु घर में उगाना उपयुक्त होता है । यदि ताजा पुदीना मिलना संभव न हो तो पत्तों को सुखाकर रखा जा सकता है । पुदीने से अर्क भी निकाला जा सकता है,
पुदीना औषधीय गुणों से भरपूर है । इसके गुणों के विषय में आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णन मिलता है
इसे हिन्दी में पुदीना, बंगाली एवं मराठी में पुदिना, गुजराती में फोदिनो, अग्रेजी में टोत् रेडमिट, लैटिन में मेन्थग़सिल वेसद्रिस, फारसी मॅ नौअना, अरवा में हवा कहते हैं ।
इस प्रकार पुदीना स्वादु, रूचिकर, उष्ण, वायु एवं कफ्लाशक है । खाँसी विभिन्न उदर विकारों जैसे अजीर्ण, अग्रिमांद्य, संम्रहणी एवं अतिसार में लाभप्रद है । हैजा ,जीर्णज्वर एवं कृमिनाशक है । पाचन क्षमता बढाने में अद्वितीय है।
1. पित्ती उछलना शरीर पर बार-वार उछलने वाली पित्ती इसके सेवन से ठीक हो जाती है । दो सौ ग्राम पानी मैं दस ग्राम पुदीना एवं बीस ग्राम गुड उबालकर छानका पिलाने से पित्ती ठीक हो जाती है ।
पुदीना औषधीय गुणों से भरपूर है । इसके गुणों के विषय में आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णन मिलता है
पुदीना से होने वाले लाभ,औषधीय गुण.....pudina se hone vale fayde |
इस प्रकार पुदीना स्वादु, रूचिकर, उष्ण, वायु एवं कफ्लाशक है । खाँसी विभिन्न उदर विकारों जैसे अजीर्ण, अग्रिमांद्य, संम्रहणी एवं अतिसार में लाभप्रद है । हैजा ,जीर्णज्वर एवं कृमिनाशक है । पाचन क्षमता बढाने में अद्वितीय है।
यह विभिन्न रोगों में निम्मानुसार लाभप्रद है
उदार विकार (पेटदर्द) :-
1. चौथाई कप पुदीने का रस, आधा कप पानी में आधा नींवू निचोडकर पीने से गैस के कारण होने वाले पेटदर्द में लाभ होता है ।
2. पुदीने का रस एवं अदरक का रस आधा तोला लें । इसमें एक माशा सेंधा नमक डालकर पिलाने से पेट दर्द दूर होता है ।
3. पुदीना भोजन के प्रति रूचि उत्पन्न काला है । २ ग्राम पुदीना में हीँग रजीरा, काली मिर्च एवं स्वादानुसार तमक डालकन्दू गर्म काके पीने से लाभ होता है । ताजा पुदीना, छुहारा, नमक, जीरा, कालीद्राक्ष, सेंधा नमक, कालीमिर्च इन सबकी चटनी बनाकर
पुदीना से होने वाले लाभ,औषधीय गुण.....pudina se hone vale fayde |
पेट गेस :-
1. पेट गेस दूर करने में पुदीना प्रभावी है । पुदीना, तुलसी, अदरक , कालीमिर्च का काढा बनाकर पीने से पेट गैस दूर हो जाती है । भूख खोलने की दृष्टि से भी यह हितकारी है ।
2. प्रात काल के समय एक गिलास गानी में २० ग्राम पुदीने का रस मिलाकर सेवन करने से पेट गैस दूर होती है । अधिक फायदे के लिए २० ग्राग शहद मिलाएँ ।
3. एक गिलास धानी में ५ ० ग्राम पुदीना, अजवाइन एवं अदरक ८-८ ग्राम मिलाकर उबालें । उबलने पर इसमें आधा कप दूध एवं स्वादानुसार गुड मिलाका पीने से पेट गैस दूर होती है एवं पाचन क्षमता में वृद्धि होती है ।
पुदीना से होने वाले लाभ,औषधीय गुण.....pudina se hone vale fayde |
आंत्रकृमि और आत्र दोष :-
पुदीने के रस के सेवन से आंत्र कृमि नष्ट हो जाने हैं । पुदीने के ताजे रस का शहद के साथ सेवन करने से आँतों की खराबी एवं उदर विकार दूर होते हैं । जिन्हें आँतों की बीमारी लम्बे समये से हो उन्हें भी पुदीने के ताजे स्वरस के सेवन से वांछित लाभ मिलता है । वमन, अतिसार, हैजे में पुदीने का रस हितकारी है । उल्टी, दस्त में आधा कप पुदीने का रस दो-दो घंटे क्रे अंतर से पीना लाभदायक है ।त्वचा की गर्मी:-
त्वचा की गर्मी निकालने में पुदीना हितकारी है । हरा पुदीना पीसकर लगभग 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है । चेहरे का सोन्दर्य निख़रिने में चेहरे पर निखार लाने में पुदीना हितकारी है । रात को सोते समय हरे पुदीने कीचटनी पीसकर चेहरे पर लेप लगाएँ। प्रात: उठका पानी से धो लें । इसके प्रयोग से चेहरे के मुहाँसे-फुसियां ठीक होती है एवं चेहरे पर निखार आता है ।1. पित्ती उछलना शरीर पर बार-वार उछलने वाली पित्ती इसके सेवन से ठीक हो जाती है । दो सौ ग्राम पानी मैं दस ग्राम पुदीना एवं बीस ग्राम गुड उबालकर छानका पिलाने से पित्ती ठीक हो जाती है ।
2. हिचकी लगातार हो रही -हिचक्री पुदीने के पत्ते चूसने से बंद हो जाती है । पुदीने के पत्तों के साथ थोडी सी चीनी मिलाकर भी चबा सकते हैं ।
3. रक्त जमना ८ यदि चोट आदि लगने से रक्त जम गया हो तो पुदीने का अर्क पीने से पिघल जाता है ।
4.ज्वरनाशक पुदीने एवं अदरक का रस मिलाकर पीने से सभी प्रकार का ज्वर ठीक होता है । चाहे तो इनका काढा भी बना सकते हैं । इसके सेवन से पसीना निकलकर ज्वर का नाश होता है । शीत, ज्वर, वायु, जुकाम में भी यह हितकारी है ।
5. पुदीने का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर प्रति दो घंटे के अन्तर से देने से त्रिदोषज्वर से होने वाले विकार दूर होकर ज्वर ठीक हो जाता है ।
6. पुदीने एवं तुलसी का ताजा रस सदी लगने में लाभप्रद है, कफ एवं मस्तिष्क क्री सर्दी में भी हितकारी है
7. जुकाम-खाँसी में हितकारी जुकाम, खाँसी में चौथाई कप पुदीने के रस में इतना ही पानी मिलाकर पीने से लाभ होता है । इसे दिन में तीन बार सेवन करें ।
8. पुदीना एवं पाँच-छ८ काली मिर्च एक कप पानी में डालकर उबालें, इसमें स्वादानुसार मिश्री मिलाकर इसे चाय क्री तरह उबालकर दिन में तीन बार पीने से लाभ होता है।